एक समय की बात है। राजू और बिरजू दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन राजू को एक सपना आया। उसका दोस्त उसे सड़क पर गाड़ी के सामने धक्का दे देगा तभी उसकी आँखें खुल गई। उसने देखा कि वह सिर्फ एक सपना है। बुरा सपना समझकर राजू सो गया। सुबह जब राजू और बिरजू दोनों खेल रहे थे तभी बिरजू ने राजू को धक्का दे दिया और राजू सीढ़ियों से बहुत जोर से गिर गया। उसके पैर से खून आने लगा और वह जोर-जोर से रोने लगा। आसपास के लोगों ने उसके पैर पर पट्टी लगवा दी।
अगले दिन उसने बिरजू से पूछा, "तुमने मुझे सीढ़ियों से क्यों गिराया था?" बिरजू ने बोला, "मुझे माफ कर दो राजू! गलती से मेरा हाथ लग गया और तुम सीढ़ियों से गिर गए। कल रात को मैं इस ख्याल में सो नहीं पाया कि कहीं मेरी गलती की वजह से तुम्हें बहुत जोर से चोट ना लग गई हो।(पर बिरजू को मन ही मन खुशी हो रही थी कि आखिर उसने अपने दोस्त को धोखा दे दिया।)
राजू ने सोचा,"हाँ! शायद इसने गलती से ही धक्का दे दिया होगा।" उसने बिरजू को माफ कर दिया।
कुछ साल बीत गए और अब राजू और बिरजू दोनों की नौकरी लग गई। एक दिन जब राजू एक महत्त्वपूर्ण कार्य हेतु ऑफिस जा रहा था तब बिरजू ने उससे कहा, आज गाड़ी मैं चलाऊँगा।" राजू मान गया। बिरजू ने राजू की सीट बेल्ट पहले ही काट दी थी और जब राजू गाडी में बैठ गया तो दरवाज़ा धीरे से ऐसे एक झटके में खुल जाए। जैसे ही गाडी बीच सड़क पर पहुँची, birjuने उसको ज़ोर से गाड़ी का दरवाज़ा खोलकर धक्का दे दिया और जोर-जोर से हँसने लगा। राजू बहुत ज़ोर से सड़क पर गिरा और बिरजू को मदद के लिए पुकारा। उसे कुछ समझ नहीं आया कि क्या हुआ अचानक।
बिरजू गाड़ी से उतरा और राजू से बोला,"मैंने बचपन में तुम्हें सीढ़ियों से धक्का दिया था, वह मैंने गलती से नहीं किया था बल्कि जान-बूझकर किया था ताकि तुम कभी चल ना सको। पर अफसोस, मेरी वह कोशिश नाकामयाब रही। पर इस बार मैंने तुम्हें इसलिए हाल में पहुँचा दिया है कि तुम आज अपनी डील पूरी नहीं कर पाओगे। बॉस नाराज होकर ये मौका मुझे दे देंगे। यह कहकर बिरजू जोर जोर से हँसने लगा हा हा हा.....
राजू ने कहा, "तुम तो मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो, फिर ऐसा क्यों किया? मैं तुम्हें इतना प्यार करता हूँ कि तुम्हारे लिए खुशी-खुशी ये डील छोड़ देता। आज की बात तो समझ आई पर बचपन में तुमने ऐसा क्यों किया?"
बिरजू ने कहा, " हम दोनों एक साथ मिलकर पढ़ने के लिए नोट्स तैयार करते थे। साथ बैठकर पढ़ते थे किंतु तुम हमेशा प्रथम आते और मैं द्वितीय। माँ हमेशा कहती, "देख राजू को, हमेशा प्रथम आता है और तुम दूसरे स्थान से आगे बढ़ ही नहीं पा रहे। माँ-पापा से प्यार की जगह मुझे तुम्हारे कारण धिक्कार मिली। उस दिन मैंने तय कर लिया था कि तुमने मेरी माँ का प्यार तो छीन लिया किंतु आगे अब अपनी और खुशियाँ छीनने नहीं दूँगा।" राजू दर्द से कराह रहा था और बिरजू उसे यूँ ही सड़क पर तड़पता छोड़कर ऑफिस चला गया।
राजू को सड़क पर पड़ा देख किसी ने एम्बुलेंस को फ़ोन किया जो आकर राजू को अस्पताल ले गयी। राजू के एक हाथ की हड्डी टूट गयी थी और हाथ-पैर में चोट आई थी। अस्पताल में मरहम-पट्टी तथा हाथ में प्लास्टर चढ़वाने के बाद वह एक दोस्त की मदद से ऑफिस पहुँचा। राजू को देखकर बॉस ने कहा, "राजू तुम, बिरजू ने तो कहा था कि तुम आज कहीं पार्टी में जा रहे हो और आज की डील नहीं कर पाओगे अतः मैंने बिरजू को ये ज़िम्मेदारी सौंप दी। तुम्हें तो बहुत चोट लगी है, ये सब कैसे हुआ?"
तभी बिरजू डील करके खुशी-खुशी बॉस के पास आता है किंतु राजू को देखकर स्तब्ध रह जाता है। बॉस कहते हैं, "बिरजू तुमने तो कहा था कि राजू को पार्टी में जाना है लेकिन इसका तो एक्सीडेंट हुआ है। क्या है ये सब?" राजू ने कहा, "सर, मैंने कल बिरजू से कहा था कि शायद मुझे एक ज़रूरी पार्टी में जाना पड़े पर सुबह मुझे लगा कि पहले डील जो इतनी महत्त्वपूर्ण है, उसे करके चला जाऊँगा। ऑफिस आते वक़्त अचानक मेरा एक्सीडेंट हो गया। अच्छा हुआ बिरजू ने ये डील हाथ से नहीं जाने दी वरना कंपनी को बहुत नुकसान हो जाता।" राजू बिरजू को बधाई देता है।
बिरजू को आश्चर्य होता है। बॉस के केबिन से बाहर आकर वह राजू से पूछता है, "मैंने तुमसे डील छीन ली, तुम्हें इतनी चोट पहुंचाई, फिर तुमने सच्ची क्यों नहीं बोला।"
राजू बोला, "पहले मैंने सारी सच्चाई बताने का सोचा था किंतु मुझे तुम्हारी बात याद आई। तुम्हें लगता है कि बचपन में मेरे कारण तुमसे माँ का प्यार छिन गया और तुम्हारे मन में मेरे प्रतियोगिता दुश्मनी का भाव आ गया। आज यदि मैं सच्चाई बता तुमसे तुम्हारी खुशी छीन लेता तो शायद हम-दोनों कट्टर दुश्मन बन जाते। मैं अपने बचपन का दोस्त खोना नहीं चाहता था। तुमने मुझे भले ही शत्रु माना हो किंतु मैंने तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त माना था और मानता रहूँगा।"
राजू की बात सुनकर बिरजू की आँखों में आंसू आ गए। उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। उसने राजू के पैर पकड़कर कहा, "मुझे माफ कर दो दोस्त, मैं ईर्ष्या में अंधा हो गया था। मैं तुम जैसा दोस्त खोना नहीं चाहता। ऐसा दोस्त किस्मत वालों को मिलता है।" राजू बिरजू को गले से लगा लेता है और वे दोनों हमेशा के लिए अच्छे दोस्त बन जाते हैं।
सच्चा दोस्त, दोस्त को दुख नहीं पहुँचाता बल्कि उसकी गलतियों को माफ करके उसे सही रास्ता दिखाता है और सदा उसका साथ निभाता है।
अयांश गोयल
Shnaya
02-Apr-2022 02:23 AM
Very nice 👌
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Shrishti pandey
31-Mar-2022 04:58 PM
Very nice
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Renu
31-Mar-2022 04:44 PM
बहुत ही बेहतरीन
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